
श्री धीरज जी पारीक — एक नाम नहीं, अपितु भक्ति, सेवा और समर्पण का जीता-जागता प्रतीक हैं।
श्री श्याम मंदिर – 365 धाम के प्रधान पुजारी के रूप में उन्होंने न केवल मंदिर की सेवा को अपना उद्देश्य बनाया है, बल्कि असंख्य श्रद्धालुओं के जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भरने का महान कार्य भी किया है।
🔱 जीवन परिचय और भक्ति यात्रा
श्री धीरज जी पारीक ने बचपन से ही भक्ति मार्ग को अपनाया और बाबा श्याम के श्रीचरणों में अपने जीवन को समर्पित कर दिया। उनका बचपन भले ही सामान्य रहा हो, लेकिन उनके भीतर छिपी आध्यात्मिक चेतना और सद्भावना उन्हें शीघ्र ही भीड़ से अलग पहचान दिलाने लगी।
बाबा श्याम से आत्मिक संबंध
धीरज जी मानते हैं कि बाबा श्याम कोई “दूर बैठा देवता” नहीं है — वे हमारे अपने हैं।
उनका यह दृढ़ विश्वास है कि श्याम जी से प्रेम का रिश्ता बिल्कुल उसी प्रकार होना चाहिए जैसे एक नन्हा बच्चा अपनी माँ से करता है — न दिखावा, न डर, सिर्फ़ सच्चा प्रेम।
🌸 व्यक्तित्व की विशेषताएँ
1. सरलता और विनम्रता
धीरज जी का जीवन अत्यंत सरल है। वे दिखावे से दूर रहते हैं और हर व्यक्ति से सहजता से मिलते हैं, चाहे वह किसी भी जाति, वर्ग या समाज से हो।
2. प्रेममयी वाणी और आत्मीयता
उनकी वाणी में ऐसा माधुर्य है कि जो सुन ले, वह भाव-विभोर हुए बिना नहीं रह सकता। वे भजन गायन, प्रवचन और आरती में इतनी आत्मा डाल देते हैं कि वातावरण श्याममय हो जाता है।
3. निष्काम सेवा भावना
वे न तो किसी स्वार्थ से भक्ति करते हैं, न ही दूसरों को स्वार्थी बनने देते हैं। उनका एक ही संदेश है:
“भक्ति मांगने के लिए नहीं, देने के लिए होनी चाहिए — सेवा, समर्पण और श्रद्धा।”
🕯️ आरती, भजन और संध्या दर्शन की दिव्यता
हर शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्री श्याम मंदिर – 365 धाम में विशेष संध्या महाआरती होती है। इस अवसर पर:
- धीरज जी के मुख से निकले श्याम नाम की धुन
- शंख, घंटी और ढोल की मधुर ताल
- और भक्तों की एकरस लय
मिलकर ऐसा दिव्य वातावरण बना देते हैं कि व्यक्ति भौतिक संसार से कटकर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है।
उनकी भजन संध्या में न केवल सुर होता है, बल्कि उसमें आत्मा की पुकार होती है। वह पुकार सीधे बाबा श्याम के हृदय तक जाती है।
📿 श्रद्धालुओं के लिए संदेश
धीरज जी बार-बार एक ही बात दोहराते हैं:
“बाबा श्याम से जुड़ने के लिए बड़े मंदिर, लंबी आरती या महंगे फूल नहीं चाहिए — सिर्फ़ एक सच्चा दिल चाहिए। जब दिल से बुलाओगे, बाबा खुद चलकर आ जाएँगे।”
उनका यह दृष्टिकोण लाखों भक्तों को प्रेरित करता है कि भक्ति कोई कर्मकांड नहीं, बल्कि हृदय की एक सहज अभिव्यक्ति है।
🌟 प्रभाव और योगदान
- उन्होंने 365 धाम को एक केवल मंदिर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना दिया है।
- उनके प्रवचन और विचार न केवल बुज़ुर्गों बल्कि युवाओं को भी आध्यात्मिक मार्ग की ओर आकर्षित करते हैं।
- उन्होंने अनेक निःस्वार्थ सेवा प्रकल्पों को आरंभ किया है — जैसे कि:
- भूखे को भोजन
- असहायों को वस्त्र
- और युवाओं को आध्यात्मिक दिशा
📚 शिक्षाएँ जो उन्होंने दीं
विषय | संदेश |
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भक्ति का स्वरूप | निष्काम प्रेम और सेवा |
बाबा से जुड़ाव | माँ-बच्चे जैसा रिश्ता |
सफल जीवन का सूत्र | भक्ति, श्रद्धा और संतोष |
दूसरों के लिए दृष्टिकोण | सेवा और करुणा से भरा मन |
सच्चा भक्त कौन? | जो अपने लिए नहीं, सबके लिए बाबा से दुआ करे |
✨ निष्कर्ष
श्री धीरज जी पारीक केवल एक नाम नहीं, एक प्रेरणा स्रोत हैं।
उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि जब एक साधारण मनुष्य ईश्वर के चरणों में पूर्ण समर्पण कर देता है, तो वह असाधारण बन जाता है।
उन्होंने बाबा श्याम की भक्ति को एक जीवंत अनुभव बना दिया है।
उनकी सेवा, भजन और वाणी से जो भी एक बार जुड़ता है, वह सदा के लिए श्याममय हो जाता है।
जय श्री श्याम 🙏🏼
धीरज जी को कोटि-कोटि नमन।