पैंसठ में आए बैठा खाटू से श्याम बाबा सुनता सबकी है श्रद्धा से जो आता।

बस एक काम करले ग्यारस को पैंसठ आले बाबा के दर्शन करके बारस की ज्योत जगा ले। दिल से दिलबर को दिल की सुनाते जा कोई नहीं दर ऐसा जो प्रेम लुटाता सदा ।।

पचरंगी बागा पहने इत्र से दर महके सतरंगी गजरों से श्रृंगार खूब दमके मोरछड़ी ले हाथ भक्तों का करता काम मंद मंद मुस्कान नजरों से करता काम कोई नहीं दर ऐसा जो प्रेम लुटाता सदा ।।

मन्नत कोई भी बांधे आके नारेल बांधे वर देता ये पल में श्रद्धा से कोई झुके भर देता भण्डार खुशियां लुटाए दिन रात मन की पढ़ता बात नजरों से करता बार कोई नहीं दर ऐसा जो प्रेम लुटाता सदा ।।

अह्म न सुहावे हारे को जीत दिलाए भक्तों के भाव में ये खुद नाचे और नचावे कस के पकड़ ले पांव…. आजा आजा पैंसठ धाम ।।

4…….

यहां देर भले लग जाए अंधेर कभी न होगी विश्वास जो अटल है सुनवाई सबकी होगी “धीरज” रख विश्वास श्याम बाबा तेरे साथ ।।

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