बंशी कान्हे ने बजाई नाचे छम-छम राधे किशोरी राधे पायल जब छनकाए ओ… कान्हा मुरली मधुर बजाए ।।
शरद की रतिया आई, चंदा ने किरण फैलाई बृज में देखो कैसी रात मस्ती भरी आई……………2 चले होले होले पुरवाई महके मधुबन की गुलजारी सारा बृज हो गया विभोर कि गोपी ग्वाले धूम मचाए।।
देव पुष्प बरसावे, चंदा अमृत छलकावे लता पताएं देखो प्रेम से सुमन लागे……2 झूला झूले कृष्ण कन्हाई संग में बैठी राधे माई सारा बृज हो गया विभोर कि गोपी ग्वाले धूम मचाए।
कि खुशबू महकण लागी, कोयलिया चहकण लागी मोर पपीहा ने तो राग अलबेली छोड़ी……2 कोयल मधुर-मधुर गुनगुनाए मयुरी जमकर नाचण लागे सारा बृज हो गया विभोर कि गोपी ग्वाले धूम मचाए ।।
देवगण तरसण लागे भाग्य को कोसण लागे बृज के नर-नारी के भाग्य सराहवण लागे “धीरज” प्रेम भरी ये बात मिले गले गोपी ग्वाल प्रेम की ये सौगात नाचे भक्त गोपीमय भाव ।।