श्याम तुम भी भक्तों में क्या फर्क रखते हो किसी को भर-भर देते हो कोई तरसते हैं क्या दर तेरा सच्चा है या तेरे भक्त झूठे हैं।।

ओ….. कहते हैं सब भक्त तेरे देवे बड़े दातार हो तुम आए जो भी द्वार पे तेरे कर देते निहाल हो तुम।

अरे….. आते-आते थक से गए हम सपने सारे चुर हुवे बात बता दे साची-साची तुम भी क्या मजबूर हुए। छोड़ेंगे ना दर तेरा बाबा देना पड़ेगा अब बाबा अरे, धरना लगाकर बैठेंगे क्या तब तुम मानोगे किसी को भर-भर देते हो कोई तरसते हैं।।1……

हार के आए भटक भटककर तुम से आश लगाकर के टूट न जाए अरमान दिल के क्या छुपी सब तुमसे। देव बड़े दातार कुहाते देवों में बड़ी शान तेरी देने से जो यूं इतराते ये कैसी दातारी तेरी। नाम की आन रख बाबा भक्तों की शान रख बाबा अरे, नाक रगड़कर हाथ जोड़कर तुमसे मांगते हैं किसी को भर भर देते हो कोई तरसते हैं।। 2……

सुना है, हमने भक्तों को तुम अपने गले लगाते हो शरण में जो भी तेरे आया उस पे प्रेम लुटाते हो। जाए बोलो किस दर पे जो तुम सा देव दातार हो तुम से लगाई प्रीत घनेरी तुम ही मेरे भगवान हो। “धीरज” की झोली भर बाबा दातारी दिखा दे अब बाबा अरे, नादानी सब भूल भुलाके गले लगाओ ना।। 3….

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