जग ने जिसे ठुकराया हो, मन से जो घबराया हो अपनों का सताया हो, चहुं ओर से हारा हो देर न कर अब भी संभल श्याम शरण में आ जाओ ।।

हे, पग पग ठोकर खाई हो चहुं ओर घेरे खाई हो दुर दुर दिखे न कोई आंख भी पथराई हो हार गए सब जतन लगा, घोर निराशा छाई हो देर न कर अब भी संभल श्याम शरण में आ जाओ।।

छाया अंधियारा जीवन में बादल बरसे अखियन में बिजली कड़के धड़कन में आश का दीप बुझा मन से पतझड़ सा बना जीवन में, सूर्य छीपा बादल में देर न कर अब भी संभल श्याम शरण में आ जाओ।।

श्रद्धा भाव जगा करके निश्चय अटल बना करके श्याम प्रभु की ज्योत जगा श्याम नाम का दीप जगा हारी बाजी पलटेगा खुशियों से दामन भर देगा देर न कर अब भी संभल श्याम शरण में आ जाओ।।

देगा साथ तेरा बाबा हाथ पकड़ लेगा तेरा बाबा कृपा से चमका देगा किस्मत का तारा बाबा निश्चय अटल बना मन में श्रद्धा प्रेम बढ़ा मन से देर न कर अब भी संभल श्याम शरण में आ जाओ।।

रोज नियम से दीप जला कुछ पल बाबा से आंख लड़ा देख न पाए बाबा तेरे आंख में अशुवन धारा को मोती बना देंगे तेरे अशुवन का एक-एक कतरा देर न कर देर न कर अब भी संभल श्याम शरण में आ जाओ।।

जब तक मन भ्रमाएगा श्याम नजर न आएगा एक टक टक टकी लगा श्याम को मन की पीड़ा बता सौंप दे सारी उलझन को श्याम से सच्ची आश जगा देर न कर अब भी संभल श्याम शरण में आ जाओ।।

प्रेम का भूखा श्याम मेरा प्रेमी के वश में रहता सदा “धीरज” रख विश्वास सदा मझधार से निकालेगा श्याम सुधा नित पीते जा ग्यारस को पैंसठ आजा देर न कर अब भी संभल श्याम शरण में आ जाओ।।

 

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