क्या खिलाएंगे हम इनको, क्या पिलाएंगे हम इनको सारे जग का ये पालक है सब इसमें समाया है जय जय जय… श्री श्याम जय जय जय… पैंसठ धाम ।

प्रेम का ये भूखा है, भजनों का ये प्यासा है प्रेमी के प्रेम से ये भूख मिटाता है। भजनों की रसधारा से ये प्यास बुझाता है सारे जग का ये पालक है, सब इसमें समाया है।।

डुबेजा श्याम के प्रेम में दिल के द्वार खोल के धड़कन बन जाएगा, स्वासों को महकने दे।

1…….

उलझन सुलझाएगा, भावों में बहकने दो सारे जग का ये पालक है, सब इसमें समाया है।।

2……

बदलती देखी दर पे किस्मत की लकीरों को सौंपी जिसने नैया श्री श्याम के चरणों में।

क्यों दर-दर भटके तु श्री श्याम शरण ले ले सारे जग का ये पालक है, सब इसमें समाया है।।

3……

मन की मुरादें तेरी पूरी करेंगे प्रभु दिलदार दयालु ये चरणों में झुके जा तु।

किसी से न तु आश कर प्रभु पे विश्वास कर सारे जग का ये पालक है, सब इसमें समाया है।।

4…….

मन में विश्वास पक्का जब तेरा हो जाएगा श्री श्याम प्रभु को हर पल पास पाएगा। विश्वास की नैया का मांझी बन जाएगा सारे जग का ये पालक है, सब इसमें समाया है।।

“धीरज” सब बातों का बस सार यही निकला प्रेम करो दिल से प्रेम से श्याम मिला प्रेमियों का ये प्रेमी है सब प्रेम संजोए जा।।

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